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नई दिल्लीइंटरनैशनल वेटलिफ्टिंग फेडरेशन (आईडब्ल्यूएफ) ने भारतीय वेटलिफ्टर के () के खिलाफ लगाए गए डोपिंग के आरोपों को उनके नमूनों में एकरूपता नहीं पाए जाने के कारण खारिज कर दिया। आईडब्ल्यूएफ ने वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी () की सिफारिशों के आधार पर यह फैसला किया। फैसले के बाद आहत चानू ने कहा कि आईडब्ल्यूएफ ने अपने कड़े रवैये से उनसे तोक्यो ओलिंपिक्स के लिए क्वॉलिफाइ करने का मौका छीन लिया। कॉमनवेल्थ गेम्स की पूर्व गोल्ड मेडलिस्ट ने कहा कि उन्हें मानसिक पीड़ा पहुंचाने के लिए आईडब्ल्यूएफ को उनसे माफी मांगनी चाहिए और मुआवजा देना चाहिए। यह 26 वर्षीय वेटलिफ्टर शुरू से ही खुद को निर्दोष बता रही थीं। उन्हें आईडब्ल्यूएफ के कानूनी सलाहकार लिला सागी के हस्ताक्षर वाले ई मेल के जरिए अंतिम फैसले से अवगत करा दिया गया है। ईमेल में कहा गया है, ‘वाडा ने सिफारिश की है कि नमूने के आधार पर खिलाड़ी के खिलाफ मामला समाप्त किया जाना चाहिए।’ मौके गंवाए और मानसिक पीड़ा से गुजरीवेटलिफ्टर संजीता चानू ने कहा- मैं बहुत खुश हूं कि आखिर में मुझे आधिकारिक तौर पर डोपिंग के आरोपों से मुक्त कर दिया गया है। लेकिन इस बीच मैंने जो मौके गंवाए उनका क्या होगा। मैं जिस मानसिक पीड़ा से गुजरी हूं उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? नाडा का फरमाननैशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) ने खिलाड़ियों से हर तीन महीने में अग्रिम रूप से उनके ठिकानों की जानकारी देने को कहा है। नाडा ने साथ ही कहा है कि अगर खिलाड़ी ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें निलंबित भी किया जा सकता है। नाडा ने एक बयान जारी कर कहा है कि उसने उन खिलाड़ियों को भी नोटिस दे दिया है जिन्होंने अपनी रहने की जानकारी नहीं दी है। कोरोना महामारी के कारण लगे देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान अपने राष्ट्रीय पंजीकृत परीक्षण पूल (एनआरटीपी) के 110 खिलाड़ियों में से करीब 25 को उनके रहने के स्थान की जानकारी का खुलासा करने में असफल होने के लिए नोटिस भेजा। नाडा ने बताया कि अगर खिलाड़ी इस तरह के तीन नोटिस का जवाब नहीं दे पाते हैं तो उन्हें चार साल तक के लिए निलंबित किया जा सकता है।
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