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नई दिल्ली भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लगातार गहराता जा रहा है। हाल ही गलवान घाटी (Galwan Valley) में जो हुआ उसके बाद से ही देश में चीनी सामान के बहिष्कार () की मांग उठ रही है। भारतीय क्रिकेट और उसकी टी20 लीग आईपीएल (IPL) पर यह दबाव बढ़ रहा है कि वह चीनी कंपनियों से मिलने वाली स्पॉन्सरशिप को रद्द करे। इस दबाव के बाद आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल इस सप्ताह मीटिंग करेगी। इस मीटिंग में टूर्नमेंट से जुड़ी सभी चाइनीज स्पॉन्सरशिप का रिव्यू किया जाएगा। चाइनीज ब्रैंड्स से बीसीसीआई की करीब 2 हजार करोड़ की डील बीसीसीआई के लिए चाइनीज कंपनियों का बहिष्कार करना इतना आसान नहीं होगा। इन चीनी कंपनियों से आईपीएल के लिए उसकी ₹1320 करोड़ की डील है। एक अंग्रेजी अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें ऑन-एयर विज्ञापनों को भी जोड़ दें तो विभिन्न चीनी ब्रैंड्स से उसे ₹500 करोड़ की कमाई और होती है। अगर चाइनीज कंपनियों के बहिष्कार का फैसला होता है तो भारतीय क्रिकेट बोर्ड और आईपीएल के ऑफिशल ब्रॉडकास्टर स्टार इंडिया को राजस्व का बड़ा नुकसान होगा। पिछले साल इन्होंने आईपीएल से ₹2000 करोड़ से ज्यादा की कमाई की थी। वीवो ने 5 साल के लिए IPL से किया है स्पॉन्सरशिप का करार आईपीएल का मुख्य स्पॉन्सर वीवो (Vivo) है, जो साल 2018 से बीसीसीआई को सालाना 440 करोड़ रुपये दे रहा है। उसने यह डील 5 साल के लिए की थी। उसने टीवी विज्ञापनों और डीलर इंगेजमेंट/ऑफर पर भी दो महीने चलने वाली इस लीग के लिए 150 करोड़ का भारी निवेश किया था। अगर यूं रद्द हुआ चाइनीज कंपनियों का करार तो वे कर सकती हैं कोर्ट का रुख कुछ वित्तीय एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि अगर बीसीसीआई वीवो की आईपीएल से स्पॉन्सरशिप रद्द कर देता है तो वह अपने नुकसान की भरपाई के लिए कोर्ट में ले जाने का भी दबाव बना सकता है। चाइनीस स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी वीवो अहम पैरंट कंपनी है, जिसके ओप्पो, रियलमी, वनप्लस और श्योमी ब्रैंड्स भी हैं। इन्होंने इस टूर्नमेंट में काफी प्रभावी स्तर पर निवेश किया हुआ है। इसके अलावा ड्रीम11, पेटीएम और स्वीगी जैसी कंपनियां भी चाइनीज निवेश से जुड़ी हुई हैं। IPL के अलावा टीम इंडिया से भी जुड़ी है बायजू, जिसमें चीनी कंपनी का पैसा इसके अलावा टीवी स्पॉन्सर से एक और ब्रैंड जुड़ा हुआ है, वह है बायजू। यह भी चीनी टेक कंपनी टेन्सेंट से जुड़ा है, जिसने बीते साल भारतीय टीम के जर्सी पर स्पॉन्सर के लिए ओप्पो को रिप्लेस किया था। इस डील के मुताबिक यह ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म वाली कंपनी प्रत्येक द्विपक्षीय मैच के लिए 4.61 करोड़ रुपये और आईसीसी टूर्नमेंट में खेले जाने वाले प्रत्येक मैच के लिए 1.56 करोड़ रुपये का भुगतान करती है। इस प्रकार यह सालाना करीब 300 करोड़ का करार है, जो क्रिकेट कैलेंडर पर निर्भर करता है।
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