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नई दिल्लीअगर कहा जाए कि 1983 के विश्व कप जीत ने भारतीय क्रिकेट को हमेशा के लिए बदल दिया तो गलत नहीं होगा। इसी जीत के बाद भारत में क्रिकेट के धर्म बनने की शुरुआत हुई, ऐसा कहा जा सकता है। साल 1983 की 25 जून को, यानी आज से ठीक 37 साल पहले, लॉर्ड्स के मैदान पर की टीम ने दो बार की वर्ल्ड चैंपियन वेस्टइंडीज को हराकर खिताब जीता। और शायद इसके बाद खेल हमेशा के लिए बदल गया। पढ़ें, 'गॉड ऑफ क्रिकेट' से मशहूर सचिन तेंडुलकर भी कई बार कह चुके हैं कि 1983 की विश्व कप जीत ने उन्हें क्रिकेट खेलने की प्रेरणा दी। सचिन उन लाखों लोगों में से थे जिन्हें 1983 के उस खिताब ने खेल की ओर मोड़ा। ने भारत के लिए 69 टेस्ट और 85 वनडे इंटरनैशनल मैच खेले। भारत की वर्ल्ड कप जीत में उनका अहम रोल था। वह सेमीफाइनल और फाइनल दोनों में मैन ऑफ द मैच थे। अमरनाथ ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया डॉट कॉम के साथ बातचीत में 37 साल पुरानी उस जीत को याद किया। सेमीफाइनल जो 22 जून 1983 को मेजबान इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में खेला गया था, में अमरनाथ ने दो विकेट लिए थे और इसके बाद बल्ले से 46 रनों की उपयोगी पारी खेल कर भारत को 6 विकेट से जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। पढ़ें, फाइनल में एक बार फिर अमरनाथ ने 26 रन बनाए। यह भारतीय पारी का दूसरा सर्वाधिक स्कोर था। कपिल देव की टीम फाइनल में सिर्फ 183 रनों पर ऑल आउट हो गई थी। लेकिन अमरनाथ ने गेंद से कमाल दिखाते हुए 7 ओवरों में 12 रन देकर तीन विकेट लिए थे। उनके प्रदर्शन ने भारत को 43 रन से जीत दिलाने में अहम किरदार निभाया। उन्होंने कहा, 'हम सब उस समय युवा थे और पूरे वर्ल्ड कप में हम एक टीम की तरह खेले। वर्ल्ड कप ट्रोफी जीतने के लिए पूरी टीम का साथ होना बहुत जरूरी है। हर खिलाड़ी को परिस्थिति की मांग के हिसाब से प्रदर्शन करना होता है और इसी तरह एक टीम बनती है। कोई खिलाड़ी बिना दूसरों के सहयोग के अकेले कुछ हासिल नहीं कर सकता।' जब उनसे 1983 के विश्व कप की जीत का भारतीय क्रिकेट पर असर के बारे में पूछा गया तो अमरनाथ ने कहा, '1983 की जीत बहुत अहम थी क्योंकि उससे पहले हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत ज्यादा हासिल नहीं किया था। उस टीम को इस बात का श्रेय मिलना चाहिए कि उसने आत्मविश्वास जगाया कि हम इंटरनैशनल लेवल पर कुछ हासिल कर सकते हैं।' उन्होंने कहा, 'ऐसा नहीं है कि हमने पहले अच्छा क्रिकेट नहीं खेला था लेकिन हमारे पास दिखाने के लिए कोई उपलब्धि नहीं थी। इससे पहले हम हॉकी में बादशाह थे लेकिन 1983 की विश्व कप जीत के बाद हर माता-पिता यही चाहता था कि उनका बेटा क्रिकेट खेले, भारत का प्रतिनिधित्व करे और वर्ल्ड चैंपियन बने। ये सब बदलाव भारतीय क्रिकेट में 1983 की जीत के बाद शुरू हुए।' कपिल देव ने जिम्बाब्वे के खिलाफ शानदार 175 रनों की पारी खेली थी। ट्रेंटब्रिज वेल्स में 18 जून 1983 को खेली गई पारी ने भारतीय क्रिकेट की दिशा बदली। दुर्भाग्य है कि बीबीसी की एक दिन की स्ट्राइक के चलते इस मैच की कोई रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध नहीं है। अमरनाथ ने इस बारे में कहा, 'यह एक शानदार पारी थी। जीवन में एक बार खेली जाने वाली। ऐसी पारियां बहुत कम देखने को मिलती हैं। यह एक शानदार पारी थी और समय की जरूरत भी थी। कपिल ने कप्तान के रूप में जिस तरह की पारी खेली वह कमाल था। इसी के कारण हम मैच जीते।'
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