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पेसर डेल स्टेन के अनुसार, अंपायर इयान गोल्ड ने उन्हें जवाब दिया कि वह टीम होटल नहीं लौट पाएंगे यदि सचिन को ऐसी स्थिति में आउट दे दिया। यदि हम 2010 के ग्वालियर वनडे को देखें तो डेल स्टेन के दावे झूठे लगते हैं। ग्वालियर में ही सचिन ने वनडे में ऐतिहासिक दोहरा शतक जड़ा था।
सचिन जब 190 के स्कोर के बाद बल्लेबाजी कर रहे थे, तब स्टेन को केवल तीन गेंदें मिलीं। उनमें से दो पर सिंगल लिए, जबकि तीसरी गेंद वापस स्टेन की ओर चली गई।
उस वनडे में पारी के 7वें ओवर में ही सचिन के पैड पर स्टेन की गेंद लगी, जब भारतीय ओपनर 25 रन बनाकर खेल रहे थे। हॉक आई से पता चला कि बॉल आराम से स्टंप से चूक गई थी। सचिन ने इस मैच में स्टेन की कुल 31 गेंदों का सामना किया, जिनमें से 16 डॉट रहीं। सचिन शेष 15 गेंदों में सात चौकों की मदद से 37 रन बनाने में सफल रहे।
जब सचिन 190 के निजी स्कोर पर या इसके बाद खेल रहे थे, तब स्टेन को 3 गेंद फेंकी। सभी 3 बल्ले से खेली गईं। पूरे मैच में स्टेन ने जो 31 गेंदें सचिन को फेंकीं, उनमें से कोई भी एक LBW की करीबी अपील नही थी।
'गॉड ऑफ क्रिकेट' से मशहूर सचिन ने इसी मैच में नाबाद 200 रन की पारी खेलते हुए वनडे इंटरनैशनल में पहला दोहरा शतक बनाया। भारत ने उनकी पारी की मदद से द्विपक्षीय सीरीज के दूसरे मैच में तीन विकेट पर 403 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया। भारत ने इस मैच में साउथ अफ्रीका को 42.5 ओवर में 248 रन पर आउट करके 153 रन से जीत दर्ज की
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