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नई दिल्ली के कोचिंग स्टाफ का हिस्सा रह चुके को लगता है कि अगर इस साल कोरोना वायरस के चलते आईपीएल का आयोजन नहीं हुआ तो इससे देश के कई प्रतिभाशाली क्रिकेटर्स एंग्जाइटी और डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। भारतीय क्रिकेट में पैडी की गहरी छाप रही है और वह साल 2011 में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम इंडिया के मेंटल कंडिश्निंग कोच थे। रविवार को उन्होंने हमारे सहयोगी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' से लॉकडाउन के मौजूदा दौर में खिलाड़ियों की मानसिक सेहत और उनके उपचार पर खास बातचीत की। इस बातचीत के दौरान पैडी अपटन ने बताया कि वैश्विक स्तर पर अचानक इतना लंबा ब्रेक आ जाने से सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं दुनिया भर के लोगों में तनाव, एंग्जाइटी और असुरक्षा की भावना बढ़ेगी। सभी के सामने इन दिनों प्रफैशनली और फाइनैंशियली चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पैडी ने कहा कि ऐसे में वे उभरते हुए ऐथलीट्स जो क्रिकेट के अलावा भी दूसरे खेलों में रुचि लेते हैं उनका स्थिति से पार पाना आसान है, लेकिन जो सिर्फ क्रिकेट पर ही पूरा फोकर करते हैं उनके लिए चिंताएं बढ़ना लाजमी है। आईपीएल न होने से भारत के घरेलू क्रिकेटरों में एंग्जाइटी और डिप्रशन बढ़ने के सवाल पर टीम इंडिया के इस पूर्व मेंटल कंडिश्निंग कोच ने कहा, 'स्वभाविक तौर पर आईपीएल क्रिकेटर्स के लिए एक बड़ा आयोजन और दुधारू गाय है। ऐसे समय (लॉकडाउन जैसे हालात) में जब कोई स्वस्थ और सामान्य व्यक्ति खुद को लेकर ज्यादा सोचता है तो उससे ऐथलीट्स ही नहीं किसी में भी ये चिंताएं बढ़ना लाजमी हैं। मैं सभी को यह सलाह दूंगा कि सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं दूसरे लोग भी इन दिनों इस सामान्य खतरे पर अधिक न सोचें और वे दूसरे लोगों पर अपना ध्यान लगाएं, उनकी चिंताएं करें और इस समय अन्य अवसरों पर भी विचार करें, जिन पर इस मुश्किल समय में फोकस किया जा सकता है।' इन मुश्किल दिनों में पैडी खिलाड़ियों समेत सभी को यह सलाह दे रहे हैं कि वे इस जीवन के उन सभी पहलुओं पर बराबर फोकस करें, जो उन्हें एक अच्छा इंसान बनाएं। जैसे खिलाड़ियों को भी अपनी शारीरिक-मानसिक फिटनेस के अलावा भावनात्मक और आध्यात्मिक पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए। इन दिनों प्रोऐक्टिव (अतिसक्रिय) रहने की जरूरत है। ऐसे समय में अपनी चिंताओं पर अधिक सोचकर खुद पर तनाव बढ़ाने से बेहतर है कि इन समस्याओं का हल ढूंढा जाए।
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