नई दिल्ली भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के सबसे शानदार कलाकारों में शुमार का बुधवार सुबह निधन हो गया। वह 53 साल के थे। मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में वह कैंसर से जंग हार गए। वह कुछ समय पहले लंदन से इलाज करवाकर लौटे थे। उनके प्रशंसक उन्हें एक मंझे हुए कलाकार के रूप में जानते हैं लेकिन बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि उनका पहला प्यार क्रिकेट था। महज 600 रुपये न होने की वजह से वह सीके नायडू ट्रोफी में शामिल नहीं हो सके। यह अंडर-23 टूर्नमेंट फर्स्ट क्लास क्रिकेट में शामिल होने की पहली सीढ़ी माना जाता है। साल 2014 के एक इंटरव्यू में इरफान ने माना था कि वह युवावस्था में क्रिकेटर बनना चाहते थे। और तो और उनका चयन सीके नायडू ट्रोफी के लिए भी हो गया था लेकिन पैसों की तंगी के चलते वह इसमें शामिल नहीं हो सके। इरफान ने कहा था, 'मैं क्रिकेट खेलता था और क्रिकेटर ही बनना चाहता था। मैं एक ऑलराउंडर था। जयपुर में अपनी टीम में सबसे युवा था। मैं इसी क्षेत्र में करियर बनाना चाहता था। मैं सीके नायडू टूर्नमेंट के लिए चुना गया। उस समय मुझे पैसों की जरूरत थी और मुझे समझ नहीं आया कि मैं घर पर कैसे मांगू। उस दिन मैंने फैसला किया कि मैं क्रिकेट में भविष्य नहीं बनाऊंगा। मैं उस समय 600 रुपये नहीं मांग सकता था।' इसके बाद इरफान ने नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लिया। जिसके लिए उन्हें 300 रूपये चाहिए थे। हालांकि उनके पास 300 रुपये भी नहीं थे तब उनके बहन ने उनके लिए पैसों का बंदोबस्त किया। दो क्षेत्रों - क्रिकेट और ऐक्टिंग- के बारे में बात करते हुए इरफान ने कहा था, क्रिकेट छोड़ने का फैसला उन्होंने बहुत सोच-समझकर लिया था। और साथ ही फिल्म इंडस्ट्री में करियर क्रिकेट के मुकाबले अधिक व्यापक और लंबा होता है। उन्होंने कहा था, 'क्रिकेट छोड़ने का फैसला बहुत सोच-समझकर लिया था। पूरे देश से सिर्फ 11 खिलाड़ी ही खेल सकते हैं। ऐक्टर्स में कोई लिमिट नहीं है। जितना मेहनत करोगे, उतना निखार आएगा।' हालांकि टी20 क्रिकेट को लेकर वह बहुत ज्यादा खुश नहीं थे। उनका मानना था कि इसने खेल को नुकसान पहुंचाया है। वह खेल के परंपरागत रूप के ही फैन थे।
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