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सिद्धार्थ सहारॉय और विवेक कृष्णन, चेन्नै कोविड-19 महामारी के चलते पूरी दुनिया में खेल गतिविधियां बंद हैं। अगले कुछ महीनों में खेलके किसी भी मैदान पर कोई अहम गतिविधि होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। ऐथलीट भी बाकी दुनिया की ही तरह अपने घर पर हैं। ऐसे मौके पर खेल जगत ऑनलाइन प्लैटफॉर्म के जरिए अपनी ट्रेनिंग जारी रखने में जुटे हैं। क्रिकेटयह कोई हैरानी की बात नहीं है कि बीते करीब एक सप्ताह से और रविचंद्रन जैसे दिग्गज व कई अन्य बड़े भारतीय खिलाड़ी अपनी अकादमियों में ऑनलाइ कोचिंग प्रोग्राम चला रहे हैं। वहीं धोनी की क्रिकेट अकादमी जिसमें पूर्व भारतीय कप्तान ऑपरेशंस में सीधे तौर पर शामिल नहीं है लेकिन वह कोचों को इनपुट देते हैं और बाकी कामों पर नजर बनाए रखते हैं अपने यहां सीखने वालों के लिए फेसबुक पर लाइव क्लास चला रहे हैं। वहीं अश्विन की अकादमी में भी कई तरीके आजमाए जा रहे हैं इसमें अश्विन के साथ ऑनलाइन सेशन भी शामिल है। खेल को लेकर हमारे देश में जो झुकाव है उस वजह से यह समझा जा सकता है कि प्रोग्राम काफी पसंद किए जा रहे हैं। धोनी की अकादमी के मुख्य कोच और पूर्व फर्स्ट क्लास क्रिकेटर सतराजीत लाहिड़ी, ने कहा कि हर विडियो सेशन में उनकी पोस्ट को बहुत ध्यान से देखा जाता है। उन्होंने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'हमारे हर विडियो पर सभी प्लेटफॉर्म्स पर लगभग10 हजार व्यू आ रहे हैं।' ऑनलाइन कैसे काम हो रहा है इस पर लाहिड़ी ने कहा, 'हमारे पास एक ऐप है जिसका नाम Cricketor है। यहां हम नियमित रूप से डेमो ड्रिल के विडियो अपलोड करते हैं। सीखने वालों को भी अपना विडियो अपलोड करना होगा ताकि हम उनकी गतिविधियों पर नजर रख सकें और अपनी राय दे सकें।' बल्लेबाजों को इन विडियो में गेंद को लगातार दीवार पर मारना और फिर हल्के हाथ से खेलना होता है। लाहिड़ी ने कहा कि इससे दो मकसद पूरे होते हैं डिफेंस मजबूत होता है और हैंड आई कॉर्डिनेशन बेहतर होता है। गेंदबाज इस बीच, गेंद छोड़े बिना कई गतिविधियां कर सकते हैं। इसमें अपने बोलिंग ऐक्शन और लोडिंग पोजिशन को लगातार दोहराना शामिल है। तमिलनाडु और चेन्नै सुपर किंग्स (सीएसके) के बल्लेबाज विद्युत शिवरामाकृष्णनन, जो एक और ऑनलाइन कोचिंग प्रोग्राम Ludimos के साथ जुड़े हैं, ने कहा हैरानी की बात यह है कि ऑनलाइन कोचिंग के दौरान अधिक गंभीरता दिखाते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने महसूस किया है, 'मैंने देखा है कि स्टूडेंट इस बात को लेकर काफी गंभीर होते हैं कि उन्हें ऑनलाइन क्या कहना है। आप किसी खिलाड़ी के खेल के एक पहलू पर ध्यान दे सकते हैं, उदाहरण के लिए बल्लेबाज की हेड पोजीशन, और फिर उसे ठीक करने पर फोकस कर सकते हैं।' पुणे के पीवाईसी जिमखाना क्रिकेट के कोच और महाराष्ट्र रणजी टीम के असिस्टेंट कोच निरंजन गोडबोले ने बताया कि वह रोजाना वीडियो कॉलिंग ऐप जूम या गूगल क्लासरूम के जरिए सेशन लेता रहता हूं। हम 40-45 मिनट का एक सेशन करते हैं जिसमें बच्चे शैडो ट्रेनिंग या बोलिंग ऐक्शन की प्रैक्टिस कर सकते हैं। फुटबॉल ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) ने 300 से ज्यादा रेफरी के लिए ऑनलाइन क्लास शुरू की हुई हैं। एक ओर जहां कैटगिरी 3 और 4 के रेफरी हफ्ते में तीन दिन दो घंटे से ऊपर की ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं। वहीं कैटगिरी 1 और 2 के रेफरी खेल में हुए हालिया बदलावों को लेकर अपनी जानकारी बढ़ाने के लिए हर दूसरे दिन ऑनलाइन एग्जाम दे रहे हैं। AIFF के रेफरी निदेशक जे रविशंकर ने कहा, 'यह रेफरियों की जानकारी बढ़ाने का सही मौका है। उनमें इसके बाद काफी विकास होगा। यह उनके लिए सीखने में मदद करेगा चूंकि इस दौरान कोई बड़ा आयोजन नहीं है। हमें लगा कि रेफरी को ट्रेनिंग देने के लिए डिजिटल सबसे अच्छा माध्यम है।' शतरंज आउटडोर गेम्स के लिए ऑनलाइन कोचिंग की अपनी कुछ सीमाएं हैं लेकिन शतरंज इसमें काफी फिट हो जाता है। इतना कि मागनस कार्लेसन और विश्वनाथन आनंद जैसे खिलाड़ी खुद ऑनलाइन टूर्नमेंट आयोजित करवा रहे हैं और उसमें खेल रहे हैं। ग्रांडमास्टर और जाने माने कोच आरबी रमेश ने कहा कि चूंकि उनकी अकादमी पहले से ही ऑनलाइन कोचिंग देती है इसलिए उनकी मांग काफी बढ़ गई है। गोल्फ इंद्रजीत भदौरिया, गोल्फ कोच हैं। उनका कहना है, 'जब यह लॉकडाउन हुआ तो मैंने फैसला किया खिलाड़ियों को CFL Live क्लासेस के जरिए भारत और दुनिया के बेस्ट कोचों के साथ जोड़ूंगा। ये भारत के हर स्तर के खिलाड़ी के लिए फ्री है। हर सेशन के बाद आपस में बातचीत होती है जो इसे और महत्वपूर्ण बनाता है।' बैडमिंटन पिछले कुछ साल में भारत में इस खेल की लोकप्रियता काफी बढ़ी है। बच्चे पीवी सिंधु और साइना नेहवाल जैसा बनना चाहते हैं। इस वजह से कई अकादमियां भी खुल रही हैं। मौजूदा हालात बेशक चुनौतीपूर्ण हैं लेकिन वे परिस्थितियों से तालमेल बैठाने में लगी हैं। प्रकाश पादुकोण बैडमिंटन अकादमी (पीपीबीए) के चीफ कोच विमल कुमार के मुताबिक, 'यह ऐथलीट के साथ मनोवैज्ञानिक स्तर पर काम करने का अवसर है।' उन्होंने कहा, 'स्काइप के जरिए स्ट्रैंथ ऐंड कंडीशनिंग और योग सेशन के अलावा हम मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी काम कर रहे हैं। ऐसे वक्त में खिलाड़ी काफी बोर हो सकते हैं। यह मौका है जब उनके माइंडसेट पर काम किया जाए। आपको एक ओर बैठा दिया गया है और वह काम करने के लिए कहा जा रहा है जो आप नहीं चाहते। यह वक्त सीखने और इन परिस्थितियों का सामना करने का अवसर देता है।'
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