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खेल डेस्क. इरफान पठान ने संशोधित नागरिकता कानून को लेकर प्रदर्शन करने वाले जामिया यूनिवर्सिटीके छात्रों के समर्थन में किए ट्वीट का बचाव किया। उन्होंने एक अग्रेंजी अखबार से हुई चर्चा में कहा, अपने देश में बोलने के लिए मुझे किसी की इजाजत नहीं चाहिए।
पठान ने 2004 के पाकिस्तान दौरे से जुड़ी एक कहानी सुनाई, ‘‘हम 2004 में पाकिस्तान दौरे पर गए थे। इस दौरान राहुल द्रविड़, लक्ष्मीपति बालाजी और पार्थिव पटेल के साथ मैं लाहौर के एक कॉलेज में गया था। यहां एक लड़की ने मुझसे गुस्से मेंसवाल पूछा किमुसलमान होने के बाद भी मैं क्यों भारत के लिए खेलता हूं? तो मैंने जवाब दिया कि यह मेरा मुल्क है, इसके लिए खेलकरमैं किसी पर एहसान नहीं कर रहा हूं। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे इसके प्रतिनिधित्व का मौका मिला। मेरे जवाब पर कॉलेज के छात्रों ने जमकर तालियां बजाईं थीं।’’
पठान ने कहा- मैंने देश का प्रतिनिधित्व किया, इसलिए बोलने का अधिकार
उन्होंने आगेकहा, ‘‘अगरमैं वहां (पाकिस्तान)सीना तानकर यह बात बोल सकता हूं तो अपने देश में जो महसूस कर रहा हूं, वह कहने के लिए मुझे किसी की इजाजत लेने की जरूरत नहीं। मैंने देश के लिए क्रिकेट खेली है। मैं जब देश के लिए गेंद लेकर दौड़ता था,तो यह नहीं सोचता था कि मैं मुस्लिम हूं। मैं पहले एक भारतीय हूं।’’
पठान के मुताबिक, किसी भी लोकतांत्रिक देश में शांतिपूर्ण प्रदर्शन सबका अधिकार है। मैं चाहता था कि जामिया में जो चल रहा है, उस ओर सबका ध्यान जाए और किसी तरह का कोई जान-माल का नुकसान न हो। यह बच्चे हमारा भविष्य हैं।
##जम्मू-कश्मीर के कोच ने संशोधित नागरिकता कानून को लेकर रविवार को जामिया के छात्रों के प्रदर्शन केबाद ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने लिखा था- राजनीतिक दोषारोपण का खेल चलता रहेगा, लेकिन मुझे और देश को जामिया के बच्चों की चिंता है।विश्वविद्यालय में पुलिस कार्रवाई और प्रदर्शन पर कुलपति डॉक्टर नजमा अख्तर ने भी अफसोस जताया था।
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