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दुबईमहेंद्र सिंह धोनी की करिश्माई कप्तानी चेन्नई सुपर किंग्स का रक्षा कवच साबित होगी जब शुक्रवार को आईपीएल के खिताबी मुकाबले में उसका सामना स्पिन तिकड़ी के दम पर फाइनल में पहुंची कोलकाता नाइटराइडर्स से होगा। दुनिया भर के क्रिकेटप्रेमियों को दशहरे के दिन ‘कैप्टन कूल’ की आतिशी पारी का भी इंतजार रहेगा जो पीली जर्सी में शायद आखिरी बार देखने को मिले। कौन किस पर भारी आंकड़ों की बात करे तो चेन्नई 12 सत्रों में नौ बार फाइनल में पहुंची है चूंकि दो सत्रों में वह लीग से बाहर थी। चेन्नई ने तीन खिताब जीते और पांच बार फाइनल में हारी जबकि केकेआर ने दोनों खिताब गौतम गंभीर की कप्तानी में जीते हैं। फाइनल तक पहुंचने की कला चेन्नई से बेहतर कोई टीम नहीं जानती है। दूसरी ओर केकेआर ने 2012 में आखिरी खिताब जीता था जब दो गेंद बाकी रहते 190 रन का लक्ष्य हासिल किया था। स्पिन तिकड़ी केकेआर की मजबूती चेन्नई के लिए चौथा खिताब जीतने की संभावना इस बात पर निर्भर करती है कि वह केकेआर की स्पिन तिकड़ी वरुण चक्रवर्ती, शाकिब-अल-हसन और सुनील नारायण का सामना कैसे करते हैं। तीनों ने टूर्नामेंट में सात से कम की औसत से प्रति ओवर रन दिए हैं। आंद्रे रसेल के हैमस्ट्रिंग चोट के कारण बाहर होने से शाकिब का हरफनमौला प्रदर्शन केकेआर को संतुलन देता आया है। वैसे फाइनल मैच के अपने दबाव होते हैं और सामने धोनी जैसा कप्तान हो तो इन तीनों के लिए इस प्रदर्शन को दोहरा पाना आसान नहीं होगा। अनुभव से भरी चेन्नई सुपरकिंग्स धोनी का सरल मंत्र है कि अनुभव पर भरोसा करो, उन्होंने रूतुराज गायकवाड़ का मार्गदर्शन किया जब 2020 में क्वालीफिकेशन का दबाव उन पर नहीं था। रूतुराज इस सत्र में तीन अर्धशतक समेत 600 से ज्यादा रन बना चुके हैं । धोनी ने अपनी नेतृत्व क्षमता के दम पर अगले साल ही नहीं बल्कि आने वाले कई सालों तक के लिए टीम की नींव मजबूत कर दी है। रूतुराज अगर चेन्नई के अगले कप्तान बनते हैं तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी चूंकि धोनी अगले साल या उसके बाद आईपीएल को अलविदा कहने का ऐलान कर सकते हैं। अधिकतर खिलाड़ी 35 पार आईपीएल को धोनी से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। यही वजह है कि उनकी टीम लगातार अच्छा प्रदर्शन करती आई है। पिछले साल लीग चरण से बाहर होने वाली पहली टीम बनी चेन्नई यादगार वापसी करके इस बार फाइनल में पहुंचने वाली पहली टीम बनी। चेन्नई के पास अनुभव की कमी नहीं है। धोनी 40 पार कर चुके हैं जबकि ड्वेन ब्रावो 38 , फाफ डु प्लेसी 37 , अंबाती रायुडू और रॉबिन उथप्पा 36 वर्ष के हैं। मोईन अली और रविंद्र जडेजा भी 30 पार हैं। रैना की बनेगी प्लेइंग इलेवन में जगह? अपने संसाधनों का सही प्रयोग करने की कला में धोनी को महारत हासिल है। इस सत्र में सभी ने देखा कि धोनी के चहेते और आईपीएल के लीजैंड सुरेश रैना को भी टीम से बाहर बैठना पड़ा। बढे हुए वजन और खराब फॉर्म से जूझ रहे रैना की जगह उथप्पा ने ली और दिल्ली के खिलाफ टीम की जीत के सूत्रधार रहे। दूसरी ओर केकेआर के पास विश्व कप विजेता कप्तान है जिसने सीमित ओवरों के क्रिकेट में इंग्लैंड टीम का कायाकल्प किया है। खराब फॉर्म से गुजर रहे मोर्गन कइयों का मानना था कि मोर्गन की जगह रसेल को कप्तानी सौंपनी चाहिए, लेकिन मोर्गन पर टीम प्रबंधन ने भरोसा किया, उन्होंने शुभमन गिल से ही पारी की शुरुआत कराना जारी रखा और आखिर गिल के बल्ले से रन निकले। वेंकटेश अय्यर पर किए गए भरोसे का भी टीम को फायदा मिला है। मोर्गन भी धोनी की तरह जज्बात जाहिर नहीं करते लिहाजा ऐसे में दोनों कप्तानों की क्रिकेट की समझ का भी यह मुकाबला होगा। चेन्नई सुपरकिंग्स: महेंद्र सिंह धोनी (कप्तान), सुरेश रैना, अंबाती रायुडु, केएम आसिफ, दीपक चाहर, ड्वेन ब्रावो, फाफ डु प्लेसिस, इमरान ताहिर, एन जगदीसन, कर्ण शर्मा, लुंगी एनगिडी, मिशेल सेंटनर, रविंद्र जडेजा, रुतुराज गायकवाड़ , शार्दुल ठाकुर, आर साई किशोर, मोईन अली, के गौतम, चेतेश्वर पुजारा, हरिशंकर रेड्डी, भगत वर्मा, सी हरि निशांत। कोलकाता नाइटराइडर्स: इयोन मोर्गन (कप्तान), दिनेश कार्तिक, गुरकीरत सिंह मान, करुण नायर, नितीश राणा, राहुल त्रिपाठी, शुभमन गिल, हरभजन सिंह, कमलेश नागरकोटी, कुलदीप यादव, लॉकी फर्गुसन, पवन नेगी, एम प्रसिद्ध कृष्णा, संदीप वारियर, शिवम दुबे, टिम साउदी, वैभव अरोड़ा, वरुण चक्रवर्ती, आंद्रे रसेल, बेन कटिंग, शाकिब अल हसन, सुनील नारायण, वेंकटेश अय्यर, शेल्डन जैक्सन, टिम सिफर्ट।
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