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प्रत्युष राज, चंडीगढ़ जलालाबाद के करीब चक खेरे वाला गांव के करीब 84 वर्षीय दीदार सिंह गिल ने अपने टीवी पर चैनल बदल रहे हैं। एक चैनल पर वह अपने पोते को देश के लिए ऑस्ट्रेलिया में खेलते देख रहे हैं। और ठीक उसी समय वह देख रहे हैं कि दिल्ली और हरियाणा के बीच सिंघू बॉर्डर पर क्या हो रहा है। बॉर्डर पर उनके परिवार के कुछ सदस्य सरकार की नई कृषि नीति के खिलाफ हो रहे विरोध में शामिल हैं। शुभमन के पिता लखविंदर सिंह ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'मेरे पिता भी इस विरोध आंदोलन का हिस्सा बनना चाहते थे लेकिन उनकी इस उम्र के कारण मैंने उन्हें जाने नहीं दिया।' ऐसे वक्त में जब किसान आंदोलन सुर्खियों में हैं तब शुभमन बीते कुछ हफ्तों से सोशल मीडिया पर काफी ऐक्टिव हैं। वह किसानों के समर्थन में काफी खुलकर अपनी बात कह रहे हैं। लखविंदर ने कहा, 'जब शुभमन ने बिल के खिलाफ अपनी आवाज उठाई तो हमें कोई हैरानी नहीं हुई। वह अपनी जड़ों को नहीं भूला है क्योंकि उसने अपने बचपन का काफी वक्त गांव में बिताया है। उसने अपने दादा, पिता और चाचा को खेतों में काम करते हुए देखा है। उसे खुद इसका अनुभव है और जानते हैं कि आखिर किसानों का विरोध क्यों मायने रखता है।' 21 वर्षीय सलामी बल्लेबाज शुभमन 9 साल की उम्र तक अपने गांव में रहे। इसके बाद क्रिकेट करियर को आगे बढ़ाने के लिए वह अपने माता-पिता के साथ मोहाली शिफ्ट हो गए। लखविंदर से पूछा गया क्योंकि वह किसान परिवार से आता है क्या इस युवा क्रिकेटर पर आंदोलन को समर्थन करने का कोई दबाव था, इस पर लखविंदर ने कहा, 'बिलकुल नहीं। ऐसी बात बिलकुल नहीं है। शुभमन को पता है कि वह क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं। वह अपने गांव से काफी जुड़े हुए हैं और उन्होंने उन्हीं खेतों में क्रिकेट खेलना शुरू किया था।'
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