भारतीय टीम वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में पहले स्थान पर थी लेकिन आईसीसी ने पॉइंट्स सिस्टम में थोड़ा बदलाव किया जिसके बाद विराट कोहली ऐंड कंपनी को यह स्थान गंवाना पड़ा है। आखिर आईसीसी ने ऐसा क्यों किया और क्या है यह नया सिस्टम जानते हैं....
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (2019-21) के रैंकिंग सिस्टम में बदलाव किया है। इसका सबसे बड़ा नुकसान भारतीय टीम को हुआ है। टीम इंडिया, जो पहले नंबर वन पर हुआ करती थी इसे यह स्थान गंवाना पड़ा है। अनिल कुंबले की अध्यक्षता वाली आईसीसी की क्रिकेट समिति ने यह सुझाव दिया है कि कोविड-19 के चलते रद्द होने वाली सीरीज से किसी टीम को कोई नुकसान न हो। तो, अब सवाल उठता है कि आखिर यह नया सिस्टम है क्या? इससे क्या बदल गया है? और टीमों पर इसका क्या असर पड़ा है? इन सब सवालों के जवाब जानते हैं-
हिंडोल बसु की रिपोर्ट
ICYMI: An altered points system was announced for the World Test Championship following an ICC board meeting yester… https://t.co/5TZ3KaHLCJ
— ICC (@ICC) 1605845221000
क्या बदल गया?अब रैंकिंग का आकलन पर्सेंटेज ऑफ पॉइंट्स (POP) के आधार पर किया जाएगा। POP याी किसी टीम द्वारा एक सीरीज में जीते गए पॉइंट्स का परसेंटेज। उदाहरण के लिए भारत ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में चार सीरीज खेली हैं। इस दौरान कुल 480 अंक दांव पर लगे थे। इस में भारत ने कुल 360 अंक जीते हैं। यानी उसका परसेंटेज पॉइंट हुआ 75।
रैंकिंग में बदलाव
इस नए सिस्टम के मुताबिक अब ऑस्ट्रेलिया पहले स्थान पर पहुंच गई है। कैसे? ऑस्ट्रेलिया ने तीन सीरीज खेली हैं, इस दौरान 360 अंक दांव पर थे। कंगारू टीम ने उसमें से 296 अंक हासिल किए। तो उनका पीओपी हुआ 82.22, जो भारत से ज्यादा है।
नया सिस्टम कैसे काम करता है
असल में टीमों को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के दौरान छह टेस्ट सीरीज खेलनी थी। इस दौरान वे अधिकतम 720 अंक हासिल कर सकती थीं। अगर कोई टीम इन छह सीरीज में 480 अंक हासिल करती है तो उसका पीओपी 66.67 प्रतिशत होगा। अगर कोई टीम पांच सीरीज खेलती है और और 600 अंक में से 450 हासिल करती है तो उसका पीओपी 75 प्रतिशत होगा। ऐसे में वह उस टीम से आगे हो जाएगी जिसने छह सीरीज खेली हैं।
पुराने सिस्टम से क्या कायम रहा?
जब आईसीसी ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की घोषणा की थी, तो उसने कहा था कि एक टेस्ट सीरीज से अधिकतम 120 अंक हासिल किए जा सकते हैं। एक टीम कुल छह सीरीज खेलेगी जिसमें से तीन घरेलू मैदान पर होंगी और तीन विदेशी धरती पर। कुल मिलाकर एक टीम अधिकतम 720 अंक हासिल कर सकेगी। दो मैच की सीरीज में, एक जीत के उसे 60 अंक मिलेंगे और तीन मैच की सीरीज में 40 अंक। इसी तरह 4 मैच की सीरीज में टीम एक जीत के 30 अंक हासिल करेगी और पांच मैच की सीरीज में 24। टाई होने की स्थिति में अंक दोनों टीमों में बराबर बांट दिए जाएंगे और ड्रॉ होने की स्थिति में टेस्ट के कुल अंक का एक-तिहाई दोनों टीमों को मिलेगा। आईसीसी ने अंक बांटने के इस सिस्टम को कायम रखा है। इसका अर्थ है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया में होने वाली आगामी सीरीज में मैच जीतने पर 30, टाई होने पर 15 और ड्रॉ होने पर 10 अंक मिलेंगे।
न्यूजीलैंड न बिगाड़ दे भारत का खेल
हालांकि टॉप 2 में किसी तरह का बदलाव होने की संभावना बहुत कम है। फिर भी न्यूजीलैंड और इंग्लैंड भारत के कुछ मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। न्यूजीलैंड को दो घरेलू सीरीज खेलनी है- वेस्टइंडीज और पाकिस्तान के साथ। दोनों सीरीज 2-2 टेस्ट मैचों की हैं। इसका अर्थ है कि न्यूजीलैंड के पास 240 अंक दांव पर लगे हैं। अगर भारत के लिए ऑस्ट्रेलिया के और अगले साल इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के नतीजे पक्ष में नहीं आते हैं तो विराट कोहली और टीम के लिए थोड़ी मुश्किल हो सकती है।
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