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नई दिल्लीक्रिकेट के मैदान से चुनावी दंगल तक का सफर तय करने वाले (Prasad Yadav Son Tejashwi Yadav) को राजनीतिक अनुभव भले ही कम रहा हो, लेकिन इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने बड़े-बड़े राजनेताओं को कड़ी टक्कर दी और अपनी पार्टी को एक मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया। बिहार 2020 विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेने और कद्दावर नेताओं को टक्कर देने वाले तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि वह कभी भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली के कप्तान भी रह चुके हैं। विराट कोहली के भी रहे कप्तान जी हा, यह बिल्कुल सही है। बिहार में क्रिकेट बोर्ड नहीं होने पर वह दिल्ली में रहे और यहीं से पढ़ाई की और क्रिकेट खेली। उन्होंने दिल्ली की अंडर-15 और 17 टीम की ओर से खेले। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि अंडर-15 में उनकी कप्तानी में दिल्ली ने कई मैच जीते भी थे। उनकी इस टीम का हिस्सा क्रिकेट वर्ल्ड में रन मशीन की उपाधि पा चुके विराट कोहली भी थे। तेजस्वी आईपीएल की फ्रैंचाइजी दिल्ली कैपिटल्स (तब डेयरडेविल्स) का हिस्सा भी रहे हैं। पढ़ने में नहीं लगा मन, लेकिन दूसरों का मन पढ़ने में माहिरभले ही उनका मन नई दिल्ली के प्रतिष्ठित डीपीएस आर के पुरम स्कूल में कभी पढ़ाई में नहीं लगा, लेकिन अपने पिता एवं राजनेता लालू यादव की तरह मतदाताओं का मन पढ़ना उन्हें बखूबी आता है। यह इसी का ही नतीजा है कि विपक्षी पार्टियों के महागठबंधन ने उनके नेतृत्व 243 में से 110 सीटे अपने नाम की। यही नहीं, उनकी पार्टी राजद चुनाव में सबसे अधिक 75 सीटें हासिल करने वाली पार्टी भी बनी। हालांकि, राजग को पीछे छोड़ने में वह नाकाम रहे लेकिन फिर भी उनके इस प्रदर्शन को कम नहीं आंका जा सकता। लोकसभा चुनाव में राज्य में 40 सीटों में से एक भी हासिल ना कर पाने पर इस युवा को राजद का नेतृत्व सौंपने को लेकर काफी सवाल उठे थे और इसके परिणामस्वरूप ही पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के आरएलएसपी और मुकेश सहान के वीआईपी ने पार्टी का साथ छोड़ दिया था। सिर्फ 9वीं कक्षा तक ही पढ़ेतेजस्वी ने केवल नौंवी तक ही पढ़ाई की और उसके बाद क्रिकेट में करियर बनाने की तैयारी शुरू कर दी। तेजस्वी को आईपीएल की टीम ‘दिल्ली डेयरडेविल्स’ ने खरीदा भी लेकिन एक भी बार भी वह मैदान पर खेलते नजर नहीं आए। इसके बाद 25 साल की उम्र में 2015 में उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया और चुनावी दंगल में उतर आए और राधोपुर विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर औपचारिक तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। इसके बाद ही लालू प्रसाद यादव ने यह स्पष्ट कर दिया था कि तेजस्वी ही उनके उत्तराधिकारी होंगे और यहीं कारण था कि नीतीश कुमार नीत सरकार में उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया। इन विवादों में भी रहेराजनीतिक करियर के आगाज के कुछ समय बाद ही तेजस्वी पर धनशोधन का आरोप लगा। यह मामला कथित अवैध भूमि लेनदेन से संबंधित था, जब उनके पिता संप्रग-1 सरकार में रेल मंत्री थे। कथित घोटाले के समय तेजस्वी की उम्र काफी कम थी। आरोपों के तुरंत बाद ही तेजस्वी को निजी जिंदगी और राजनीतिक करियर दोनों में काफी कठिन समय का सामना करना पड़ा। नीतीश कुमार ने राजद से अपना संबंध तोड़ दिया और उन्होंने राजग के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई। लालू यादव के चारा घोटाला से जुड़े मामलों में जेल जाने के बाद से ही तेजस्वी को राजद का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार माना गया। इस चुनाव में दिखी रणनीतिएक बार चुनाव की घोषणा होने के बाद वह पूरी तरह मैदान में उतर आए। अपनी बड़ी बहन एवं राज्यसभा सांसद मीसा भारती को प्रचार अभियान से दूर रखने और बड़े भाई तेज प्रताप को उनकी हसनपुर सीट तक सीमित रखने के फैसले ने सबको काफी चौंकाया लेकिन वह अडिग रहे और राज्य में पार्टी को बेहतर स्थिति में लाकर ही माने। चुनाव में भले ही राजग ने बहुमत हासिल किया है, लेकिन इस चुनाव में विपक्षी ‘महागठबंधन’ का नेतृत्व कर रहा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) 75 सीटें अपने नाम करके सबसे बड़े दल के रूप में उभरा और इसके साथ ही इस युवा नेता के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीदे भी जगीं हैं।
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