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श्रीलंका के इस दिग्गज स्पिन गेंदबाज ने अपनी फिरकी पर बल्लेबाजों को खूब नचाया। 1992 में अपने इंटरनैशनल करियर का आगाज करने वाले मुरली का 19 साल तक इंटरनैशनल क्रिकेट में गूंजा। तब दुनियाभर के बल्लेबाज उनसे खौफ खाते थे। इस गेंदबाज ने टेस्ट में 800, वनडे में 534 और टी20 में 13 विकेट (487 इंटरनैशनल मैच में कुल 1347) अपने नाम किए।
मुरलीधरन साल जुलाई 2010 में टेस्ट क्रिकेट से अपनी रिटायरमेंट का ऐलान कर चुके थे। वह भारत के खिलाफ अपने टेस्ट करियर की अंतिम टेस्ट मैच खेल रहे थे। इस सीरीज में मुरली ने पहले टेस्ट मैच के बाद ही अपने संन्यास का ऐलान कर दिया था। तब वह 800 विकेट की उपलब्धि से 8 विकेट ही दूर थे। लेकिन मुरली ने अपने अंतिम टेस्ट में ही अपने 8 विकेट निकाले और प्रज्ञान ओझा को अपना 800वां शिकार बनाया।
अगर श्रीलंका के पूर्व कप्तान अर्जुन रणतुंगा उनकी मदद नहीं करते तो दुनिया के दिग्गज गेंदबाज का सफर 80 विकेट के बाद ही थम जाता। अंपायर डेरल हेयर ने 1995 में मेलबर्न के मैदान पर उनकी बोलिंग को नो-बॉल करार देना शुरू कर दिया था। तब रणतुंगा ने उनकी काफी मदद की और वह दुनिया के महान स्पिनरों में अपना नाम दर्ज करा सके।
श्रीलंका के पूर्व कप्तान दिलीप मेंडिस ने एक बार इस दिग्गज की तारीफ करते हुए कहा था कि वह सीमेंट की पिच पर भी गेंद को स्पिन कराने की काबिलियत रखते हैं। मुरली अपनी कलाई को काफी जोर से घुमाते थे।
मुरलीधरन ने सबसे ज्यादा 67 बार टेस्ट की एक पारी में 5 या इससे ज्यादा विकेट लिए हैं। वहीं लाल गेंद के इस फॉर्मेट में उन्होंने 22 बार 10 या इससे अधिक विकेट (एक टेस्ट मैच में 10+ विकेट) अपने नाम किए हैं।
मुरली ने अपने करियर में 133 टेस्ट मैच खेले और कुल 800 विकेट झटके। उन्होंने इस फॉर्मेट में एक अर्धशतक भी लगाया। वहीं, वनडे में उन्होंने 350 मैचों में कुल 534 विकेट अपने नाम किए। वनडे और टेस्ट में उनका सर्वाधिक विकेटों का वर्ल्ड रेकॉर्ड आज भी बरकरार है। टी20 इंटरनैशनल फॉर्मेट में भी उन्होंने 12 मैच भी खेले और 13 विकेट झटके।
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