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कोरोनावायरस के कारण ऑस्ट्रेलिया के बाद अब अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड को भी आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। बोर्ड ने अपने कोचिंग स्टाफ के वेतन में 25 प्रतिशत कटौती करने का फैसा किया है। बोर्ड के मुताबिक, जून में जिम्बाब्वे का अफगानिस्तान दौरा नहीं होगा तो बोर्ड को वेतन में 50 प्रतिशत कटौती करनी पड़ सकती है। फिलहाल, कॉन्ट्रैक्ट खिलाड़ियों को3 महीने का वेतन दिया गया है।
कोराना के कारण पूरी दुनिया में खेल गतिविधियां 2 महीने से बंद हैं। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया भी 80 प्रतिशत कर्मचारियों को 30 जून तक 20 प्रतिशत वेतन ही देगा। यह स्थिति अगस्त में भी तक रह सकती है। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने अपने कर्मचारियों के लिए बड़े सुपरमार्केट और अपने प्रायोजक वूलवर्थ जैसे बड़े संगठनों में जून तक के लिए अस्थायी तौर पर नौकरी तलाशना शुरू कर दी है।
जिम्बाब्वे टी-20 सीरीज पर भी कोरोना संकट
अफगानिस्तान के हेड कोच दक्षिण अफ्रीका के लांस क्लूजनर, बैटिंग कोच द.अफ्रीका के ही एचडी एकरमैन हैं। इनके अलावा सहायक कोच अफगानिस्तान के पूर्व कप्तान नवाज मंगल प्रभावित हैं। बोर्ड के फैसले से इन तीनों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। टीम को जून में जिम्बाब्वे से 5 टी-20 की घरेलू सीरीज भी खेलना है। वर्तमान में एसीबी ने 32 सीनियर खिलाड़ियों और 55 घरेलू खिलाड़ियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया हुआ है। जिम्बाब्वे सीरीज रद्द होने पर इनका वेतन भी काटा जाएगा।
नहीं हैं प्रायोजक
एसीबी के मुख्य कार्यकारी लुत्फुल्लाह स्टेनिकजाई ने कहा कि अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पास कोई लंबे समय तक का प्रायोजक नहीं है। मैच द मैच के लिए प्रायोजक ढूंढने पड़ते हैं। हमें सरकार से बोर्ड के राजस्व का 15 प्रतिशत ग्रांट मिलता है। लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए ऐसा नहीं लग रहा है कि ग्रांट मिलेगा। वहीं कपड़े की कंपनी टायका ने भी करार खत्म कर लिया है। एशिया कप होने की भी संभावना कम है। टी-20 वर्ल्ड कप भी प्रभावित हो सकता है। ऐसे में हम अगले साल का इंतजार कर रहे हैं। ताकि क्रिकेट शुरू हो पाए और बोर्ड अपने घाटे को कम कर सके।
आईसीसी के स्थायी सदस्य बनने के बाद भी नहीं मिलता ज्यादा ग्रांट
स्टेनिकजाई ने कहा कि 2017 से अफगानिस्तान आईसीसी का परमानेंट सदस्य है। हमें लगा था कि हमें ज्यादा ग्रांट मिलेगा। स्थायी सदस्य बनने के बाद लोगों की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। लेकिन उसके बावजूद उन्हें एसोसिएट सदस्य के दौरान मिलने वाली ग्रांट ही मिल रही है। उन्होंने कहा कि हमने आईसीसी को भी ग्रांट देने के लिए लिखा है, लेकिन उनकी ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया है।
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