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नई दिल्ली देश की स्टार शटलर पीवी सिंधु ने इस साल वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जरूर जीता लेकिन बाकी पूरे साल खराब प्रदर्शन से जूझती रहीं। युवा लक्ष्य सेन भारतीय के लिए मिली जुली सफलता वाले वर्ष 2019 में भविष्य की उम्मीद बनकर उभरे। दो सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल के बाद सिंधु ने भारत को विश्व चैंपियनशिप में पहला गोल्ड दिलाया। हालांकि वह इस फॉर्म को दोहरा नहीं सकीं। स्विट्जरलैंड में विश्व चैंपियनशिप से भारत को दो पदक मिले। पढ़ें, सिंधु के अलावा बी साई प्रणीत ने प्रकाश पादुकोण के पदक जीतने के 36 साल बाद पुरुष एकल वर्ग में ब्रॉन्ज जीता। युगल वर्ग में सात्विक साईराज रांकिरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने थाइलैंड ओपन सुपर 500 खिताब जीता और फ्रेंच ओपन सुपर 750 के फाइनल में पहुंची। सुपर 500 खिताब जीतने वाली यह पहली भारतीय जोड़ी बनी। 18 वर्ष के लक्ष्य ने इस साल पांच खिताब अपने नाम किए और करियर की सर्वश्रेष्ठ 32वीं रैंकिंग पर पहुंचे। सौरभ वर्मा ने वियतनाम और हैदराबाद में सुपर 100 खिताब जीता। वह सैयद मोदी सुपर 300 टूर्नमेंट के फाइनल में पहुंचे। महिला एकल में सिंधु के अलावा साइना नेहवाल ने इंडोनेशिया मास्टर्स सुपर 300 खिताब अपने नाम किया। पिछले साल पांच रजत पदक और विश्व टूर फाइनल्स में स्वर्ण जीतने वाली सिंधु इस साल फॉर्म में नहीं दिखी। कोरियाई कोच किम जू ह्यून के मार्गदर्शन में अभ्यास कर रहीं सिंधु इंडोनेशिया ओपन में उपविजेता रहीं और बासेल में विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण जीता। वह पूर्व ओलिंपिक और विश्व चैंपियन झांग निंग के बाद विश्व चैंपियनशिप में पांच पदक जीतने वाली दूसरी महिला खिलाड़ी हैं। इसके बाद वह सत्र के आखिरी विश्व टूर फाइनल्स में खिताब बरकरार रखने में नाकाम रहीं। पुरुष वर्ग में प्रणीत स्विस ओपन फाइनल में पहुंचे और सत्र के आखिर में विश्व रैंकिंग में 11वें स्थान पर रहे। किदाम्बी श्रीकांत ने 2017 में चार खिताब जीते थे। उन्होंने 2018 में राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण और नंबर वन की रैंकिंग भी हासिल की लेकिन यह साल औसत ही रहा। वह इंडिया ओपन फाइनल में पहुंचे जबकि बाकी टूर्नमेंटों में औसत प्रदर्शन और घुटने की चोट के कारण बाहर रहने से विश्व रैंकिंग में टॉप-10 से बाहर चले गए। एचएस प्रणॉय रैंकिंग में 26वें स्थान पर रहे। साल की शुरुआत में रैंकिंग में 109वें स्थान पर रहे लक्ष्य ने पोलिश ओपन में उपविजेता रहकर 76 पायदान की छलांग लगाई। उन्होंने सितंबर में बेल्जियम इंटरनैशनल जीता और फिर डच ओपन सुपर 100 तथा सारलोरलक्स सुपर 100 खिताब अपने नाम किए। नवंबर में स्काटिश ओपन जीतने के बाद साल के आखिर में बांग्लादेश इंटरनैशनल चैलेंज जीता। युगल में अश्विनी पोनप्पा और एन सिक्की रेड्डी 13 टूर्नमेंटों में पहले दौर से बाहर हो गईं जबकि तीन बार दूसरे दौर से बाहर हुईं। अगले साल होने वाले तोक्यो ओलिंपिक से पहले कोच पुलेला गोपीचंद को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके खिलाड़ी सर्वश्रेष्ठ लय में रहें।
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