लंदन अंग्रेजी की एक पुराना कहावत है, ऑफेंस इज द बेस्ट डिफेंस (offence is the best defence)। यानी आक्रमण ही सबसे बेहतरीन रक्षा है। मगर बीते एक-दो दिन में फुटबॉल जगत में जो हुआ उसने इस सिद्धांत को झुठला कर रख दिया। भारतीय समयानुसार रविवार तड़के अर्जेंटीना ने कोपा अमेरिका कप जीता तो देर रात इटली यूरो कप का चैंपियन बना। दोनों ही फाइनल में एक चीज कॉमन थी। और वो है शानदार गोलकीपिंग। गोल स्कोरर नहीं बचाने वाले बने चैंपियनइटली की टीम ने इंग्लैंड को हराकर 53 साल बाद यूरो कप जीता। पिछली बार उसने 1968 में यह ट्रॉफी जीती थी। फाइनल में एक्स्ट्रा टाइम तक दोनों टीमें 1-1 से बराबर थीं, इसके बाद विजेता का फैसला पेनल्टी शूटआउट के जरिए हुआ। इटली की जीत के हीरो रहे उसके युवा गोलकीपर , जो पहले तो मैच के दौरान दीवार की तरह खड़े रहे फिर पेनल्टी शूटआउट में भी दो गोल बचाकर अपने देश को चैंपियन बना दिया, उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नमेंट भी चुना गया। 22 वर्षीय इस खिलाड़ी ने शुरुआत इटली के क्लब एसी मिलान के साथ की। हाल ही में फ्रेंच क्लब Paris Saint-Germain के साथ डील साइन की है। दूसरी ओर पूरे टूर्नामेंट में सिर्फ एक ही गोल खाने वाली इंग्लिश टीम की गोलकीपिंग फाइनल में बेहद खराब रही। जॉर्डन पिकफोर्ड को गोल्डन ग्ल्वस से जरूर नवाजा गया, लेकिन उन्होंने एक दो नहीं बल्कि लगातार तीन मौके मिस किए। अर्जेंटीना के एमिलियानो मार्टिनेज ने बदली मेसी की तकदीर 2007, 2015 और 2016 ये तीनों साल लियोनेल मेसी के रहते अर्जेंटीना, कोपा अमेरिका के फाइनल तक पहुंचा था, लेकिन जीत नहीं सका। इस बार एमिलियानो मार्टिनेज ने ऐसी गोलकीपिंग दिखाई कि लियोनेल पहली बार कोपा अमेरिका जीत पाए, जिसके लिए वो बेसब्र थे। अर्जेंटीनी गोलकीपर महज 38 दिन के भीतर ही सुपरस्टार बन गए। मार्टिनेज ने टूर्नामेंट में चार पेनल्टी बचाए, जिसमें से 3 तो कोलंबिया के खिलाफ सेमीफाइनल के थे। इसके अलावा 4 गोल बचाए, जिसमें से एक फाइनल का शामिल है। यहां थोड़ा भी चूक अर्जेंटीना के खिताबी सपने को चूर-चूर कर सकती थी।
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