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नई दिल्लीबांग्लादेश के खिलाफ निदाहास ट्रोफी 2018 के फाइनल में उस समय बल्लेबाजी के लिए मैदान पर उतरे थे जब भारत 133 रन पर अपने पांच विकेट गंवा चुका था। अंतिम दो ओवरों में जीत के लिए उसे 34 रनों की दरकार थी और दबाव पूरी तरह से भारत पर था। हालांकि कार्तिक ने 19वें ओवर में रुबैल हुसैन की गेंदबाजी पर 22 रन बटोरकर शानदार काम किया था। भारत को जीत के लिए अंतिम गेंद पर पांच रन बनाने थे और कार्तिक ने एक्स्ट्रा कवर के ऊपर से छक्का लगाकर भारत की जीत पक्की की थी। कार्तिक ने 'द फिनिश लाइन' कार्यक्रम में सौरव घोषाल के साथ बातचीत के दौरान कहा, 'पहले मैं नंबर-5 पर बल्लेबाजी करने के लिए तैयार था। लेकिन ने कहा कि मैं नंबर-6 पर बल्लेबाजी के लिए जाऊंगा। इसलिए मैं इसके साथ भी खुश था।' उन्होंने कहा, 'मैं इसे लेकर पूरी तरह से आश्वस्त था कि मैं नंबर-6 पर बल्लेबाजी करने के जाऊंगा। और मैं बचे हुए गेंदों और तथा रनों के बीच के फासले को देख सकता था।' कार्तिक ने आगे कहा, 'जब चौथा विकेट आउट हो गया तो मैं बल्लेबाजी के लिए मैदान में उतरने के लिए तैयार था। लेकिन तभी रोहित ने कहा कि विजय शंकर को बल्लेबाजी के लिए जाना चाहिए। इसलिए उस समय मैं काफी निराश और गुस्से में था। लेकिन जाहिर है कि आप कप्तान से सवाल नहीं कर सकते। मैं इसे लेकर निश्चित था कि रोहित के दिमाग में जरूर कुछ चल रहा था। आखिरकार मैं नंबर-7 पर बल्लेबाजी के लिए उतरा।' 35 साल के कार्तिक ने उस समय अपने दिमााग में चल रही बातों को भी याद किया जब भारत को 12 गेंदों पर 34 रनों की जरूरत थी। उन्होंने कहा, 'जीवन में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब आप ऊपर आते हैं और कुछ खास करते हैं। मेरे लिए यह वह अवसर था, जहां मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं था। मेरे पास एक मौका था, जब मैं पूरी तरह से खुलकर खेल सकता था।' कार्तिक ने कहा, 'मैंने हमेशा ऐसी स्थिति में अभ्यास किया था, जहां एक ओवर में 12 या दो ओवर में 20 रन चाहिए था। लेकिन मुझे नहीं लगता है कि मैंने कभी ऐसी स्थिति का सामना किया था, जहां हमें दो ओवर में 34 रन की जरूरत थी। जब मैंने मैदान पर कदम रखा तो मैं जानता था कि मैं शॉट खेल सकता हूं और उस दिन इसे अच्छे से लागू कर सकता हूं।'
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