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नई दिल्ली साल 2007-08 की ऑस्ट्रेलिया सीरीज में और के बीच हुए विवाद की चर्चा आज भी होती है। वह विवाद इतना बढ़ गया था कि दोनों देशों के क्रिकेट संबंधों पर खतरा मंडराने लगा था। साल उस घटना को इतने साल बीत जाने के बावजूद इस विवाद ने हरभजन का पीछा नहीं छोड़ा है। हालांकि खुद हरभजन का कहना है कि इसे जरूरत से ज्यादा तूल दिया गया। मुद्दे को वर्ल्ड वार 3 बना दियाशुक्रवार को अपने 40वें जन्मदिन के मौके पर नवभारत टाइम्स के साथ खास बातचीत में उन्होंने कहा, जो हुआ उसे जरूरत से ज्यादा हवा दी गई। मामला वहीं का वहीं ग्राउंड पर सुलझ सकता था। मैदान में सौ ऐसी चीजें होती हैं जो मैच रेफरी या मीडिया तक नहीं पहुंचतीं। मैदान पर खिलाड़ी एक-दूसरे को स्लेज करते हैं तो उसको मीडिया तक लेकर नहीं जाते। मगर उस मामले को ऐसा बना दिया गया था जैसे कि वर्ल्ड वॉर 3 हो। इतनी बड़ी बात थी नहीं। हमारी उपलब्धियों को याद नहीं रखते हरभजन हालांकि मानते हैं कि जो भी हुआ वह सही तो नहीं था क्योंकि उस टूर को लोग गलत वजहों से याद रखते हैं। हम उस टूर की उपलब्धियों को ज्यादा याद नहीं करते। तब भारत ने पर्थ में टेस्ट मैच जीता था। हमारे दौर में पहली बार वहां वनडे की सीरीज जीती थी। हमें व्यक्तिगत रूप से कोई समस्या नहीं क्या उनकी इस बारे में ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटरों से बात हुई? इस सवाल के जवाब में भारत के दूसरे सबसे कामयाब स्पिनर ने मान कि सायमंड्स, रिकी पॉन्टिंग और मैथ्यू हेडन से इस विवाद पर कई बार चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि हम सभी का मानना है कि चीजें तब की तब वहीं पर रोक देनी चाहिए थीं। हममें से कोई नहीं चाहता कि इस तरह का विवाद हो जिस पर उम्र भर जवाब देना पड़े। आज मैं कह सकता हूं कि व्यक्तिगत तौर पर हममें से किसी को किसी के साथ समस्या ना थी और ना अब है। मैदान पर गरमा-गरमी हो जाती है हरभजन ने कहा, 'हां, मैदान पर जब आप देश का प्रतिनिधित्व करते हैं तो कई बार इस तरह की बहस और गरमा गरमी हो जाती है। आज हम सभी दोस्त हैं। हम यही सोचते हैं कि जिंदगी को एंजॉय करना चाहिए। मैं किसी के साथ ईर्ष्या नहीं रखता और मुझे लगता है कि इनमें से तीनों मेरे साथ ईर्ष्या नहीं रखते। उस घटना के बाद हम जब-जब मिले हैं बहुत हंसकर मिले हैं और अच्छा वक्त बिताया है।'
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