![](https://i9.dainikbhaskar.com/thumbnails/680x588/web2images/www.bhaskar.com/2020/06/27/sachin-with-arjun-final_1593250435.png)
बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह की आत्महत्या के बाद से ही देश में नेपोटिज्म को लेकर बहस हो रही है। लेकिन, पूर्व भारतीय बल्लेबाज आकाश चोपड़ा का मानना है कि क्रिकेट में दूसरी इंडस्ट्री की तुलना में नेपोटिज्म (भाई-भतीजावाद) नहीं होता है। उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर पोस्ट किए वीडियो में यह बात कही।
चोपड़ा ने कहा कि अगर किसी दिग्गज खिलाड़ी से रिश्ता भर होने से ही इंटरनेशनल लेवल पर खेलने का मौका मिल जाता, तो सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर के बेटे टीम इंडिया का हिस्सा होते।
क्रिकेट में प्रदर्शन के आधार पर ही मौका मिलता है: आकाश
इस पूर्व भारतीय बल्लेबाज नेआगे कहा कि हर खिलाड़ी प्रदर्शन के आधार पर ही इंटरनेशनल लेवल पर खेलता है। उन्होंने कहा कि अगर क्रिकेट में नेपोटिज्म होता तो रोहन गावस्कर का क्रिकेट करियर बहुत लंबा होता, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उन्हें टीम इंडिया में खेलना का मौका तब मिला, जब उन्होंने घरेलू क्रिकेट में बंगाल की तरफ से अच्छा प्रदर्शन किया।
उन्होंने कहा किसुनील गावस्कर ने अपने बेटे को मुंबई से खेलने में किसी तरह की मदद नहीं की। यही बात, सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन के मामले में भी लागू होती है। उन्हें भी आसानी से कुछ नहीं मिला। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी तरह का समझौता नहीं होता है।
आकाश ने भारत के लिए सिर्फ 10 टेस्ट ही खेले
अर्जुन अभी तक भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं खेले हैं, जबकि रोहन गावस्कर ने अपने करियर में टीम इंडिया के लिए सिर्फ 11 वनडे ही खेले। इसमें उन्होंने करीब 19 की औसत से 151 रन ही बनाए, जबकि फर्स्ट क्लास क्रिकेट में रोहन ने 117 मैच में 6938 रन बनाए। इसमें 18 शतक और 34 अर्धशतक शामिल हैं। वहीं,आकाश ने भी भारत के लिए सिर्फ 10 टेस्ट ही खेले हैं। इसमें उन्होंने 23 की औसत से 437 रन बनाए। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने 10 हजार से ज्यादा रन बनाए हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
No comments:
Post a Comment