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टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कहा कि भारतीय खिलाड़ी मानसिक परेशानी के बारे में बात करने से कतराते हैं। ऐसे में टीम के साथ कुछ दिनों के लिए नहीं, बल्कि हर वक्त एक मेंटल कंडिशनिंग कोच रहना चाहिए।
उन्होंने पूर्व क्रिकेटर एस. बद्रीनाथ के एमफोर (मेंटल हेल्थ को लेकर काम करने की संस्था) के ऑनलाइन सेशन में क्रिकेट, वॉलीबॉल, टेनिस के शीर्ष कोचों के साथ चर्चा के दौरान यह बात कही।
टीम के लिए कंडिशनिंग कोच जरूरी
धोनी नेकहा कि मेंटल कंडिशनिंग कोच अगर कुछ दिनों के लिए टीम के साथ जुड़ता है तो उसका ज्यादा फायदा नहीं मिलेगा। क्योंकि तब वह कुछ दिनों के लिए खिलाड़ियों से अपने अनुभव साझा कर पाएगा।अगर वह टीम के साथ लगातार रहताहै, तो समझ सकताहैकि ऐसे कौन से क्षेत्र हैं, जो किसी खिलाड़ी के खेल पर असर डाल रहे हैं।
'देश में मानसिक परेशानी को स्वीकार करना बड़ा मु्द्दा'
उन्होंने कहा किभारत में आज भी मानसिक परेशानी को स्वीकार करना बड़ा मुद्दा है। खासतौर पर खिलाड़ियों के साथ ऐसा है। कोई भी वास्तव में यह नहीं कहता है कि, जब मैं बल्लेबाजी करने जाता हूं, तो पहली 5 से 10 गेंदे खेलते वक्त दिल की धड़कनें बहुत तेज हो जाती हैं। मुझे दबाव महसूस होता है, मुझे थोड़ा डर लगता है। हर कोई ऐसामहसूस करता है। लेकिन इसका सामना कैसे करना है, यह कोई नहीं बताता?
खिलाड़ी और कोच का रिश्ता अहम: धोनी
इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने आगे कहा कि यह मामूली परेशानी है। लेकिन ज्यादातर मौकों पर कोई खिलाड़ी कोच से इस बारे में बात नहीं करता है। इसलिए मैं कहता हूं कि खेल में खिलाड़ी और कोच का रिश्ता बहुत अहम होता है। इस सेशन में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने मेंटल हेल्थ को लेकर कहा किसिर्फ खेल ही नहीं, बल्कि जिंदगी में भी यहजरूरी है।
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