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विकास कृष्णन, चेन्नै भारतीय टेस्ट टीम के अहम बल्लेबाज की सबसे बड़ी खूबी उनका संयम और अनुशासन है। और कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ वह इन्हीं का अच्छा इस्तेमाल कर रहे हैं। सेल्फ-आइसोलेशन और सोशल डिस्टेंसिंग को बेहद जरूरी माने जाने वाले इस वक्त में पुजारा उदाहरण पेश कर रहे हैं। पुजारा ने राजकोट में अपने घर से हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'लॉकडाउन के दौरान सबसे जरूरी चीज है कि आप घर पर रहें। सभी को खतरा समझना चाहिए और घर पर ही रहना चाहिए, भले ही इससे परेशानी क्यों न हो। लेकिन हम एक युद्ध लड़ रहे हैं। संयम और अनुशासन की वे आदतें जरूर काम आ रही हैं। क्रिकेटर के रूप में मेरी खूबियां इन हालात का सामना करने में मेरी मददगार हो रही हैं। मेरे पास वह मानसिक दृढ़ता है। तो इससे फायदा होता है।' पुजारा को बेशक खेल से बहुत लगाव है और उन्हें गेंद के बल्ले पर लगने की आवाज बहुत पसंद है। लेकिन फिलहाल, क्रिकेट उनके दिमाग में दूर-दूर तक नहीं है। पुजारा ने हाल ही में एक लंबे सीजन का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेली और उसके बाद सौराष्ट्र के रणजी ट्रोफी बनने के सफर के साथी रहे, तो फिलहाल उन्हें इस ब्रेक से कोई ऐतराज नहीं है। उन्होंने कहा, 'कई बार आपको खेल से दूर रहने की जरूरत होती है। अच्छी बात यह रही कि यह सब सीजन खत्म होने के बाद हुआ। जब रणजी ट्रोफी खत्म हुई तो मैं एक-दो सप्ताह का ब्रेक लेने के बारे में सोच रहा था। यह उससे ज्यादा लंबा हो गया। हमें नहीं पता कि खेल कब शुरू होगा। तो हम एक मुश्किल हालात में हैं।' पुजारा हालांकि फिलहाल क्रिकेट के बारे में नहीं सोच रहे हैं। उन्होंने कहा, 'लेकिन अगर हम उन समस्याओं को देखें जिनका सामना बाकी लोग कर रहे हैं, तो हम क्रिकेट के बारे में नहीं सोच सकते। यह वायरस इतना खतरनाक है कि हमें मिलकर इससे लड़ना होगा। यह एक युद्ध की तरह है। हमारी पहली कोशिश है कि हालात सबसे पहले सामान्य हों। उसके बाद ही हम खेल के बारे में सोच सकते हैं।' हालांकि 32 वर्षीय इस क्रिकेटर ने माना कि फिलहाल वह क्रिकेट से दूर हैं। इसका अर्थ है कि वह अपना ज्यादातर वक्त पत्नी और बेटी के साथ बिता रहे हैं। और जैसे ही हालात सामान्य होंगे तो पुजारा सबसे पहले राजकोट में अपनी अकादमी में जाएंगे। उन्होंने कहा, 'मैं अपनी अकादमी जाना चाहूंगा यह मेरे घर से करीब 16-17 किलोमीटर है।'
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