Sunday, July 12, 2020

टिम पेन ने कहा- 2010 में चोट से इतना परेशान रहा कि क्रिकेट से नफरत हो गई थी, सोफे पर बैठकर रोता रहता था July 11, 2020 at 10:29PM

ऑस्ट्रेलिया के टेस्ट कप्तान टिम पेन ने 2010 में उंगली में लगी चोट को लेकर खुलासा किया कि वे इससे इतना परेशान हो गए थे कि क्रिकेट से नफरत करने लगे थे और दिन-दिन भर सोफे पर बैठकर रोते रहते थे। हालांकि,स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट ने उन्हें इस मुश्किल से बाहर निकलने में मदद की। उन्होंने 'बाउंस बैक' पॉडकास्ट में यह बातें कही।

पेन 2010 में चैरिटी मैच के दौरान चोटिल हो गए थे। तब डिर्क नानेस की गेंद से उनकी इंडेक्स फिंगर टूट गई थी। इस चोट की वजह से पेन को सात बार सर्जरी करानी पड़ी। उनकी उंगली मैटल प्लेट लगी और वे दो सीजन क्रिकेट नहीं खेल पाए।

चोट से वापसी के बाद मैं तेज गेंदबाजों से डरने लगा था: पेन

पेन ने बताया कि जब मैंने दोबारा खेलना शुरू किया, तो उतना खराब नहीं था। मैं तेज गेंदबाज का सामना कर रहा था। उस वक्त गेंद का सामना करने से ज्यादा मेरे मन में हमेशा यह डर लगता था कि कहीं दोबारा गेंद उंगली पर न लग जाए। यहां से मेरा करियर नीचे जाने लगा। मैंने बिल्कुल आत्मविश्वास खो दिया था। मैंने यह बात किसी को नहीं बताई। सच्चाई यह है कि मैं चोटिल होने से डर रहा था।

'मेरी निजी जिंदगी भी काफी प्रभावित हुई'

35 साल के इस क्रिकेटर ने कहा कि खेल के मैदान में उनके इस संघर्ष की वजह सेनिजी जिंदगी भी बहुत प्रभावित हुई थी। मेरा खाना-पीना और सोना छूट गया था। मैं मैच से पहले इतना नर्वस हो जाता था कि मेरे अंदर ऊर्जा बचती ही नहीं थी। मेरे साथ किसी के लिए भी रहना आसान नहीं था। मेरी पार्टनर के साथ भी रिश्ते बहुत अच्छे नहीं थे। मैं हमेशा गुस्से में रहता था।

मेरे साथियों को भी मेरी तकलीफ के बारे में नहीं पता था

उन्होंने आगे कहा कि मैं बहुत शर्मिंदा था कि मैं कैसा बन गया हूं। किसी को नहीं पता था कि मैं स्ट्रगल कर रहा हूं, मेरे साथियों और पार्टनर को भी यह नहीं पता था। कई बार ऐसा हुआ, जब मेरी गर्लफ्रैंड काम पर चली और मैं सोफे पर बैठकर रोता रहता था। ये वाकई दर्दभरा था।

स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट ने मेरी बहुत मदद की

इसके बाद मैंने क्रिकेट तस्मानिया के साइकोलॉजिस्ट से सम्पर्क किया। मुझे आज भी याद कि मैं उनके साथ पहले सेशन में सिर्फ 20 मिनट बैठा और इसके बाद कमरे से बाहर निकला, तो काफी हल्का महसूस कर रहा था। तब मुझे लगा कि मानसिक तनाव से निकलने का पहला कदम यही होना चाहिए कि हम मानें कि हमें मदद की जरूरत है। हालांकि, इसे जानने में मुझे 6 महीने का वक्त लग गया।

हाल ही में बड़े क्रिकेटरों के मेंटल हेल्थ का मामला तब सुर्खियों में आया, जब ग्लेन मैक्सवेल ने मानसिक स्वास्थ्य का हवाला देकर क्रिकेट से ब्रेक लेने की बात कही। इसके बाद युवा बल्लेबाज निक मैडिसन ने भी इसी वजह से क्रिकेट से ब्रेक लिया।

पेन को 2018 में टेस्ट कप्तान बनाया गया था

पेन को 2018 में बॉल टेम्परिंग विवाद के बाद स्टीव स्मिथ की जगह टेस्ट टीम का कप्तान बनाया गया था। वे अब तक 31 टेस्ट में 31 की औसत से 1330 रन बना चुके हैं।



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ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट कप्तान टिम पेन ने कहा- मानसिक परेशानी से निकलने का पहला कदम यही है कि हम मानें कि हमें मदद की जरूरत है। -फाइल

उस चोट के बाद क्रिकेट से हो गई थी नफरत, मैं रोने लगा था: पेन July 11, 2020 at 09:55PM

मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया के टेस्ट कप्तान () ने बताया कि 2010 में करियर प्रभावित करने वाली चोट ने उन्हें इतना परेशान कर दिया कि वह 'क्रिकेट से नफरत' करने लगे थे और 'रोने' लगे थे। उन्होंने कहा कि खेल मनोवैज्ञानिक की मदद से उन्हें इससे छुटकारा मिला। साउथ अफ्रीका में गेंद से छेड़छाड़ प्रकरण के बाद स्टीव स्मिथ की जगह टेस्ट टीम के कप्तान बनाए गए पेन को 2010 में यह चोट एक चैरिटी मैच में लगी थी। डर्क नैनेस की गेंद पर उनके दाएं हाथ की अंगुली टूट गई थी। चोट से उबरने के लिए पेन को सात बार सर्जरी करनी पड़ी, जिसमें उन्हें 8 पिन, धातु की एक प्लेट और कूल्हे की हड्डी के एक टुकड़े का सहारा लेना पड़ा था। इसके कारण वह दो सत्र तक क्रिकेट से दूर रहे। पेन ने 'बाउंस बैक पोडकास्ट' पर कहा, 'जब मैंने फिर से खेलना और कोचिंग शुरू की तो मैं बहुत अच्छा नहीं कर रहा था। जब मैंने तेज गेंदबाजों का सामना करना शुरू किया तब मेरा ध्यान गेंद को मारने से ज्यादा अंगुली को बचाने पर रहता था। जब गेंदबाज रनअप शुरू करते थे तब मैं प्रार्थना करता था, 'जीसस क्राइस्ट मुझे उम्मीद है कि वह मुझे अंगुली पर नहीं मारेंगे।' उन्होंने कहा, 'यहां से मेरे खेल में गिरावट आने लगी। मैंने बिल्कुल आत्मविश्वास खो दिया था। मैंने इसके बारे में किसी को नहीं बताया। सच्चाई यह है कि मैं चोटिल होने से डर रहा था और मुझे नहीं पता था कि मैं क्या करने जा रहा हूं।' पैंतीस साल के इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने कहा कि इस संघर्ष ने उनके निजी जीवन को भी प्रभावित किया। विकेटकीपर बल्लेबाज ने कहा, 'मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैं ठीक से खा नहीं पा रहा था। मैं खेल से पहले इतना घबरा गया था, मुझ में कोई ऊर्जा नहीं थी। इसके साथ जीना काफी भयानक था। मैं हमेशा गुस्से में रहता था और उसे दूसरे पर निकालता था।' पेन ने कहा, 'मैं शर्मिंदा था कि मैं क्या बन गया था। मुझे क्रिकेट के लिए प्रशिक्षण पसंद है और मुझे क्रिकेट देखना बहुत पसंद है। लेकिन मुझे यकीन था कि मैं फेल होने जा रहा हूं।' उन्होंने कहा, 'किसी को मेरे संघर्ष के बारे में पता नहीं था। मेरी पार्टनर को भी नहीं, जो अब मेरी पत्नी भी है। ऐसा भी समय था कि जब वह मेरे साथ नहीं थी तब मैं काउच पर बैठ कर रोता था। यह अजीब था और यह दर्दनाक था।' इसके बाद उन्होंने क्रिकेट तस्मानिया में एक खेल मनोवैज्ञानिक से संपर्क किया, जिसका सकारात्मक असर पड़ा। पेन ने कहा, 'पहली बार मैं उसके साथ केवल 20 मिनट के लिए बैठा और मुझे याद है कि उस कमरे से बाहर निकला तो मैं बेहतर महसूस कर रहा था।' उन्होंने कहा, 'इससे उबरने का पहला कदम यही था कि मुझे अहसास हुआ कि मुझे मदद की जरूरत है। इसके छह महीने बाद मैं पूरी तरह ठीक हो गया था।'

मेसी एक सीजन में 20 से ज्यादा गोल और इससे ज्यादा बार असिस्ट करने वाले पहले खिलाड़ी July 11, 2020 at 10:07PM

स्पेनिश फुटबॉल लीग ‘ला लिगा’ में शनिवार देर रात बार्सिलोना ने रियाल वालाडोलिड को 1-0 से हराया। इसी के साथ टीम अब टॉप पर काबिज रियाल मैड्रिड के साथ खिताबी दौड़ में बनी हुई है। मैच में अकेला गोल 15वें मिनट में अर्तुरो विडाल ने किया। इस गोल को कप्तान लियोनल मेसी ने असिस्ट किया। इसी के साथ मेसी ला लिगा के एक सीजन में 20 से ज्यादा गोल दागने और 20+ गोल असिस्ट करने वाले पहले खिलाड़ी बन गए हैं।

मेसी से पहले स्पेन के जावी ने 2008-09 सीजन में सबसे ज्यादा 22 गोल असिस्ट किए थे, लेकिन तब गोल सिर्फ 6 ही कर सके थे। इस सीजन में अब तक मेसी ने 22 गोल दागे हैं, जबकि 20 असिस्ट किए हैं।

हेनरी भी प्रीमियर लीग में ऐसा कारनामा कर चुके
इससे पहले इंग्लैंड के क्लब आर्सेनल के पूर्व फुटबॉलर थिएरी हेनरी भी इंग्लिश प्रीमियर लीग के एक सीजन में एक सीजन में 20 से ज्यादा गोल दागने और 20+ गोल असिस्ट कर चुके हैं। हेनरी 2002-03 सीजन में 24 गोल और 20 असिस्ट कर चुके हैं।

खिताबी के लिए रियाल के 3 में से 2 मैच जीतना जरूरी
ला लिगा में खिताब के लिए टॉप पर काबिज रियाल मैड्रिड और दूसरी नंबर की टीम बार्सिलोना के बीच सीधी टक्कर है। रियाल के 3 मैच बाकी हैं। यदि टीम दो मैच जीत लेती है, तो उसका खिताब पक्का होगा। साथ ही दो मैच हारने पर खिताब भी गंवा देगी, लेकिन इसके लिए बार्सिलोना के अपने बाकी बचे दोनों मैच जीतने होंगे।

मेसी के नाम लगातार 12 सीजन में 20 से ज्यादा गोल करने का रिकॉर्ड
मेसी ला लिगा के लगातार 12 सीजन में 20 से ज्यादा गोल करने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं। उन्होंने यह उपलब्धि पिछले महीने मैलोर्का के खिलाफ मैच में गोल करने के साथ हासिल की थी। कोरोना के बीच 98 दिन बाद मैदान पर वापसी करने के साथ ही मेसी का यह पहला गोल भी था।



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लियोनल मेसी (बाएं) ने 15वें मिनट में असिस्ट किया था, जिसे अर्तुरो विडाल ने गोल में बदल दिया।

DRS पर सचिन तेंडुलकर ने दी ICC को यह सलाह July 11, 2020 at 09:02PM

नई दिल्ली दुनिया के महान बल्लेबाज () बल्लेबाजों के प्रति और सख्त रवैया रखने के पक्षधर बन रहे हैं। तेंडुलकर ने आईसीसी को सलाह दी है कि वह LBW के लिए मांगे गए DRS पर अपने नियम में बदलाव करे। सचिन ने कहा है कि अगर कैमरे में गेंद यह दर्शा रही है कि वह स्टंप को छू कर निकलेगी, तो फिर बल्लेबाज को आउट ही दिया जाना चाहिए। फिलहाल LBW के लिए DRS प्रणाली में जो नियम है उसके अनुसार अगर अंपायर ने बल्लेबाज को आउट नहीं दिया है और विपक्षी टीम ने इस पर DRS मांगा है तो अंपायर का निर्णय तभी बदला जा सकता है, जब कम से कम गेंद का 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सा स्टंप को छू रहा हो। अगर ऐसा नहीं है तो निर्णय अंपायर्स कॉल ही रहता है। मास्टर ब्लास्टर ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, 'अगर गेंद स्टंप पर लग रही है तो फिर यह मायने नहीं होना चाहिए कि वह 50 फीसदी टच है, या इससे कम। अगर डीआरएस दर्शा रहा है कि गेंद स्टंप पर लगेगी, तब इसे आउट ही दिया जाना चाहिए।' इस वीडियो में सचिन दुनिया के दूसरे महान बल्लेबाज वेस्ट इंडीज के पूर्व कप्तान से डीआरएस प्रणाली पर चर्चा कर रहे हैं। लारा से बात करते हुए सचिन ने कहा, 'आईसीसी से मैं एक बात पर सहमत नहीं हूं, वह डीआरएस है, जिसे वह अब काफी समय से इस्तेमाल कर रहे हैं। यह LBW डिसीजन को लेकर है, जहां मैदानी अंपायर का निर्णय बदलने के लिए गेंद स्टंप्स पर 50 फीसदी से ज्यादा टकराती दिखनी चाहिए।' 100 अंतरराष्ट्रीय शतक जमाने वाले सचिन ने कहा, 'जब कोई निर्णय समीक्षा के लिए अंपायर के पास जाता है, तो फिर टेक्नोलॉजी को ही अपना काम करने दीजिए। जैसे टेनिस में होता है। यहां अंदर या बाहर सिर्फ दो चीजों को परखा जाता है। इसके बीच में कुछ और नहीं है।' अभी डीआरएस पर कोई निर्णय जब अंपायर्स कॉल पर जाता है और तब करीबी मामलों में रिव्यू लेने वाली टीम का रिव्यू जाया नहीं होता। लेकिन बल्लेबाज को भी आउट नहीं दिया जाता। वहीं जब बल्लेबाज रिव्यू मांगता है और यहां भी मामला करीबी होने पर बैटिंग टीम का रिव्यू बरकरार रहता है।